- प्रशासनिक दृष्टि से राज्य को सात संभाग में बांटा गया है संभागीय व्यवस्था वर्ष 1949 से प्रारंभ हुई, उस समय पांच संभाग- जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर बनाए गए। यह व्यवस्था 1962 में श्री मोहनलाल सुखाडिया के मुख्यमंत्रित्वकाल में समाप्त कर दी गई।
- 26 जनवरी,1987 को श्री हरिदेव जोशी के मुख्यमंत्रित्व काल में पुनः संभागीय व्यवस्था प्रारंभ की गई। पहले के 5 संभागों के अलावा अजमेर को छोटा संभाग बनाया गया। वर्तमान में कुल सात संभाग है सातवा संभाग भरतपुर 4 जून 2005 को बना।
- संभागीय स्तर पर सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी संभागीय आयुक्त एवं पुलिस विभाग का मुखिया पुलिस महानिरिक्षक होता है।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 30 मार्च 1950 से 1 नवंबर, 1956 तक महाराजा सवाई मानसिंह राजस्थान के एकमात्र राजप्रमुख (राज्यपाल के समकक्ष) रहे,जो बाद में स्पेन में भारत के प्रथम राजदूत रहे।
- राज्य के पहले आम चुनाव जनवरी,1952 में हुए। इस चुनाव में राज्य विधानसभा में 160 सीटें थी। राज्य की पहली विधान सभा की पहली बैठक 29 मार्च,1952 को जयपुर के सवाई मानसिंह टाउन हॉल में संपन्न हुई, यही टाउन हॉल विधानसभा भवन बन गया।
- राजस्थान विधानसभा का नया भवन ज्योति नगर (जयपुर) में वर्ष 2001 में जोधपुर एवं करौली के पत्थरों से बनाया गया। इस भवन का लोकार्पण तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर.नारायणन ने 6 नवंबर, 2001 को किया।भवन के चार प्रवेश द्वारों में जयपुर, मेवाड़, जोधपुर,एवं शेखावटी क्षेत्र की स्थापत्य कला झलकती है।
- राज्य के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री श्री हरी लाल शास्त्री(07.04.1949 से 05.01.1951 तक) जोबनेर (जयपुर) के निवासी थे जबकि राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री श्री टीकाराम पालीवाल,(03.03.1952 से 31.10.1952) मंडावर (अलवर) के निवासी थे।
- राजस्थान में अनुसूचित जाति के पहले मुख्य-मंत्री जगन्नाथ पहाड़िया,(06.06.1980 से 13.07.1981) भुसावर (भरतपुर) के निवासी थे।
- राज्य में सर्वाधिक अवधि तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड मोहनलाल सुखाडिया के नाम है।स्व. सुखाड़िया 1954 से 1971 तक लगभग 17 वर्ष तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं इन्हें ‘आधुनिक राजस्थान का निर्माता’ कहा जाता है।
- श्री हीरालाल देवपुरा(23.02.1985 से 10.03.1985) राजस्थान में सबसे कम अवधि के लिए मुख्यमंत्री बने रहे हैं (मात्र 16 दिन)
Monday, 23 January 2017
राजस्थान प्रशासनिक स्वरूप
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