Monday, 6 March 2017
Friday, 3 February 2017
Thursday, 2 February 2017
राजस्थान भूगर्भिक शैल संरचना
- राजस्थान में आर्यन महाकल्प से लेकर अभिनूतन युग तक की भूगर्भीय शैली संरचनाएं पाई जाती हैं।
- राजस्थान की भू-गर्भिक संरचना भारत के अन्य राज्यों की तुलना में विशिष्ट है क्योंकि जहां एक ओर प्राचीनतम प्री -कैंब्रियन युग की शैलों से युक्त अरावली पर्वतमाला है तो दूसरी ओर वायु द्वारा जमा की गई अत्याधुनिक मृदा।
- अरावली पर्वतमाला में एक और जहां प्राचीन ग्रेनाइट एवं नीस के शैल है वही उसी के साथ साथ देहली एवं विंध्य समूह के शैल भी मौजूद हैं।
- हाड़ोती का पठार,मालवा के पठार का ही एक भाग है।
- आर्यन तथा प्री कैंब्रियन योग्य संरचनाओं का हादसा दृष्टिगोचर होना राज्य के महत्वपूर्ण भूगर्भीय की विशेषता है।
- राजस्थान की भूगर्भीय संरचना में भौमकीय कालानुक्रम में परिवर्तन आए हैं, जो यहां की शैल संरचना में स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं राजस्थान की भूगर्भिक संरचना का वर्णन क्रमशः आद्य महाकल्प,पुरजीवी महाकल्प, प्राद्यजीवी महाकल्प के रुप में किया जाता है।
- आद्य महाकल्प जो 42,500 से 4,5000 लाख वर्ष प्राचीन है,इसके संदर्भ में अरावली पूर्व एवं कैंब्रियन पूर्व को वर्णित किया जाता है। कैंब्रियन पूर्व के अंतर्गत रावली महासंघ एवं देहली महासंघ आते हैं।
- पूरा जीवी महाकल्प के संदर्भ में विंध्य महासंघ एवं परमियान कार्बोनिफेरस( बाप बोल्डर बैड व् भादुरा कालूकाश्म) को वर्णित किया जाता है।
- प्राद्यजीवी(नवजीवी) महाकल्प को जीवाश्म, अश्वंवैन्यासिक एवं हिमनदन की घटनाओं के आधार पर तृतीयक कल्प व क्वार्टरनरी(चतुर्थक) कल्प में विभक्त किया गया है।
- तृतीयक (टर्शियरी) कल्प के शैल समूह मुख्यतः नागौर, बीकानेर ,जैसलमेर एवं बाड़मेर जिले में बालुकाश्म,जीवाश्म युक्त चूने का पत्थर, बेंटोनिटिक मृदिकाए, मुल्तानी मिट्टी एवं लिग्नाइट आदि रूप में विद्यमान है।
- राजस्थान की प्राचीनतम चट्टाने ‘बैंडेड- नाइसिक- कॉन्पलेक्स’है जो आर्कियन युग के जालोढ निक्षेप एवं बालूका स्तरिकी के रूप में है। यह चट्टाने भीलवाड़ा, चित्तोड़गढ़, राजसमंद एवं उदयपुर जिले में पाई जाती है।
- अरावली पर्वत श्रंखला कैंब्रियन पूर्व युग की अरावली एवं दिल्ली महासंघ के कायांतरिक चट्टानों प्रमुखत: नाइस, शिस्ट, क्वार्टजाइट,संगमरमर इत्यादि से बनी हुई है।
- जोधपुर एवं नागौर जिले में स्थित मारवाड़ महासंघ के बालूका पत्थर एवं चूना पत्थर के निक्षेप प्रोटोरोजाइक काल के है।
- राज्य के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में विस्तृत मालाणी आग्नेय श्रंखला के तहत रायोलाइट एवं जालौर- सिवाना ग्रेनाइट के जमाव मिलते हैं।
- जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलों में पीले पत्थर का जमाव मिलते है।
- आर्कियन जलोढ़ चट्टानों की सबसे विस्तृत पेटी आमेट (राजसमंद) से खेतड़ी (झुंझुनू) तक के 300 कि. मी. की लंबाई में पाई है, जो ‘सांडमाता कॉन्पलेक्स’ कहलाता है।
- अरावली महासंघ की चट्टानें जोकि 20 से 25 हजार लाख वर्ष पुरानी है कांकरोली (राजसमंद) से बांसवाड़ा तक पायी जाती है। अरावली महासंग से सबसे पुरानी चट्टाने देबारी संघ की है। अरावली महासंघ के सबसे नवीन जमाव लूनावाड़ संघ के रुप में पाई जाती है।
- रायलो संघ की चट्टाने जयपुर एवं अलवर जिलो में पाई जाती है इनके सबसे अच्छे जमाव टहला एवं बलदेवगढ़ के आस-पास मिलते हैं।
- विंध्यन महासंघ की चट्टाने राजस्थान में निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़) से धोलपुर तक विस्तृत है इसमें चूना पत्थर,बलुआ पत्थर, शैल एवं शिस्ट के महत्वपूर्ण जमाव हैं।
- राजस्थान में डेकन ट्रेप (क्रिटेशस लावा प्रवाह) के महत्वपूर्ण जमाव हाड़ौती क्षेत्र एवं मेवाड़ के दक्षिण- पूर्वी क्षेत्र मिलते हैं।
- टर्शियरी (तृतीयक) महाकल्प के महत्पूर्ण जमाव जीवाश्म मय बालूका पत्थर, मृतिका एवं लिग्नाइट के रूप में जैसलमेर, बाड़मेर ,नागौर एवं बीकानेर जिलों में मिलते हैं।
Tuesday, 31 January 2017
Tuesday, 24 January 2017
Monday, 23 January 2017
राजस्थान सामान्य परिचय
- हमारे प्रदेश राजस्थान को आदिकाल से आज तक मरुकान्तर,मरु, मरुदेश, मरूवार, रायथान, राजपूताना,रजवाड़ा, राजस्थान इत्यादि नामों से जाना जाता रहा है। वाल्मीकिकृत रामायण महाकाव्य में हमारे प्रदेश के लिए ‘मरुकान्तर’ शब्द का प्रयोग हुआ है।
- राजस्थान शब्द का प्राचीनतम ज्ञात स्रोत बसंतगढ़ (सिरोही) का शिलालेख है,जिसमें ‘राजस्थानीयादित्य’ शब्द उत्कीर्ण है।
- ‘ मुहणोत नैणसी की ख्यात’ एवं ‘राजरूपक’नामक ग्रंथों में भी ‘राजस्थान’ शब्द का उल्लेख हुआ है।
- राजपूत काल एवं मध्यकाल में यहां पर राजपूत राजाओं ने शासन किया, अतः यह क्षेत्र ‘राजपूताना’ कहलाया। ‘राजपूताना’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1800 ई.में जॉर्ज थॉमस ने किया था। अंग्रेजी शासनकाल में यह क्षेत्र ‘राजपूताना’ के नाम से जाना जाता था।
- प्रसिद्ध अंग्रेज इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने 1829 ई. में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘एनाल्स एंड एंटिक्विटीज ऑफ राजस्थान’( सेंट्रल एंड वेस्टर्न राजपूत स्टेट्स ऑफ इंडिया) में इस प्रदेश के लिए तीन शब्दों ‘रजवाड़ा’ रायथान,एवं राजस्थान का प्रयोग किया।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात एकीकरण की प्रक्रिया में 25 मार्च 1948 को गठित ‘पूर्व राजस्थान संघ’ में पहली बार राजस्थान शब्द का प्रयोग हुआ। 26 जनवरी 1950 को इस प्रदेश का नाम विधिवत रूप से ‘राजस्थान’ रखा गया।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के समय राजस्थान में 19 देशी रियासतें, तीन ठिकाने (लावा,नीमराणा,कुशलगढ़)एवं अजमेर- मेरवाड़ा केंद्र शासित प्रदेश थे।इन सबके एकीकरण के पश्चात 1 नवंबर, 1956 को राजस्थान का वर्तमान स्वरूप सामने आया।
- एकीकरण के चौथे चरण में 30 मार्च,1949 को राज्य की चार वृहद रियासतों जोधपुर, जयपुर, बीकानेर एवं जैसलमेर के विलय से एकीकरण का अधिकांश कार्य पूर्ण हुआ। इस इकाई का नाम ‘वृहद राजस्थान’रखा गया। एकीकरण का अधिकांश कार्य 30 मार्च 1949 को पूरा होने पर इसे राजस्थान के गठन की तिथि माना गया। इसी उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 30 मार्च राजस्थान को ‘राजस्थान दिवस’ मनाया जाता है।
- एकीकरण के छः चरणों के पश्चात 26 जनवरी 1950 को राज्य में जिलों की संख्या 25 थी,जो बढ़कर वर्तमान में 33 हो गई है।
- 1 नवंबर 1956 को ‘अजमेर मेरवाड़ा’ (‘सी’ श्रेणी का एक राज्य) का राजस्थान में विलय करके अजमेर को राजस्थान का 26 वाँ जिला बनाया गया। जयपुर जिले की किशनगढ़,अराई ,सरवाड़ एवं रूपनगढ़ तहसीलों को भी नवगठित अजमेर जिले में सम्मिलित किया गया।
- 15 अप्रैल 1982 को भरतपुर जिले की चार तहसीलों धोलपुर, राजाखेड़ा, बाड़ी एवं बसेड़ी को अलग करके राज्य का 27 वाँ जिला धोलपुर गठित किया गया।
- 10 अप्रैल 1991 को कोटा जिले की 7 तहसीलों बाराँ, मांगरोल,छबड़ा, अटरू, छिपाबड़ोद, शाहाबाद एवं किशनगंज को अलग करके राज्य का 28वाँ जिला बाराँ बनाया गया।
- 10 अप्रैल 1991 को जयपुर जिले की दौसा,बसवा, लालसोट एवं सिकराय चार तहसीलों को अलग करके राज्य का 29 वाँ जिला दौसा बनाया गया। बाद में 15 अगस्त 1992 को सवाई माधोपुर जिले की महवा तहसील को भी दौसा जिले में सम्मिलित किया गया।
- 10 अप्रैल 1991 को उदयपुर जिले की 7 तहसीलों राजसमंद, नाथद्वारा, रेलमगरा, कुंभलगढ़,आमेट,भीम एवं देवगढ को लेकर राज्य का 30 वाँ जिला राजसमंद बनाया गया।
- 12 जुलाई 1994 को श्री गंगानगर जिले से हनुमानगढ़ पीलीबंगा,टिब्बी, संगरिया, नोहर, भादरा एवं रावतसर सात तहसीलों को अलग करके हनुमानगढ़ के राज्य का 31वाँ जिला बनाया गया।
- 19 जुलाई 1997 को सवाई माधोपुर जिले की 5 तहसीलों करौली, सपोटरा,हिंडौन, टोडाभीम एवं नादौती को अलग करके राज्य के 32वे जिले करौली का गठन किया गया।
- 26 जनवरी 2008 को चित्तौड़गढ़ जिले से प्रतापगढ़, छोटी सादड़ी, एवं अरनोद तहसील,उदयपुर जिले की धरियावद तहसील एवं बांसवाड़ा जिले की घाटोल तहसील में से पीपलखुट को अलग तहसील बनाकर राज्य के नवगठित 33वे जिले प्रतापगढ़ में सम्मिलित किया गया।
राजस्थान प्रशासनिक स्वरूप
- प्रशासनिक दृष्टि से राज्य को सात संभाग में बांटा गया है संभागीय व्यवस्था वर्ष 1949 से प्रारंभ हुई, उस समय पांच संभाग- जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर बनाए गए। यह व्यवस्था 1962 में श्री मोहनलाल सुखाडिया के मुख्यमंत्रित्वकाल में समाप्त कर दी गई।
- 26 जनवरी,1987 को श्री हरिदेव जोशी के मुख्यमंत्रित्व काल में पुनः संभागीय व्यवस्था प्रारंभ की गई। पहले के 5 संभागों के अलावा अजमेर को छोटा संभाग बनाया गया। वर्तमान में कुल सात संभाग है सातवा संभाग भरतपुर 4 जून 2005 को बना।
- संभागीय स्तर पर सर्वोच्च प्रशासनिक अधिकारी संभागीय आयुक्त एवं पुलिस विभाग का मुखिया पुलिस महानिरिक्षक होता है।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात 30 मार्च 1950 से 1 नवंबर, 1956 तक महाराजा सवाई मानसिंह राजस्थान के एकमात्र राजप्रमुख (राज्यपाल के समकक्ष) रहे,जो बाद में स्पेन में भारत के प्रथम राजदूत रहे।
- राज्य के पहले आम चुनाव जनवरी,1952 में हुए। इस चुनाव में राज्य विधानसभा में 160 सीटें थी। राज्य की पहली विधान सभा की पहली बैठक 29 मार्च,1952 को जयपुर के सवाई मानसिंह टाउन हॉल में संपन्न हुई, यही टाउन हॉल विधानसभा भवन बन गया।
- राजस्थान विधानसभा का नया भवन ज्योति नगर (जयपुर) में वर्ष 2001 में जोधपुर एवं करौली के पत्थरों से बनाया गया। इस भवन का लोकार्पण तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर.नारायणन ने 6 नवंबर, 2001 को किया।भवन के चार प्रवेश द्वारों में जयपुर, मेवाड़, जोधपुर,एवं शेखावटी क्षेत्र की स्थापत्य कला झलकती है।
- राज्य के प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री श्री हरी लाल शास्त्री(07.04.1949 से 05.01.1951 तक) जोबनेर (जयपुर) के निवासी थे जबकि राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री श्री टीकाराम पालीवाल,(03.03.1952 से 31.10.1952) मंडावर (अलवर) के निवासी थे।
- राजस्थान में अनुसूचित जाति के पहले मुख्य-मंत्री जगन्नाथ पहाड़िया,(06.06.1980 से 13.07.1981) भुसावर (भरतपुर) के निवासी थे।
- राज्य में सर्वाधिक अवधि तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड मोहनलाल सुखाडिया के नाम है।स्व. सुखाड़िया 1954 से 1971 तक लगभग 17 वर्ष तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं इन्हें ‘आधुनिक राजस्थान का निर्माता’ कहा जाता है।
- श्री हीरालाल देवपुरा(23.02.1985 से 10.03.1985) राजस्थान में सबसे कम अवधि के लिए मुख्यमंत्री बने रहे हैं (मात्र 16 दिन)
राजस्थान की स्थिति एवं विस्तार
- क्षेत्रफल की दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग कि. मी (देश का 10.41%) है। राजस्थान के भाग मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र भारत के वृहद राज्य हैं।
- राज्य के पश्चिम से पूर्व लंबाई 869 किलोमीटर एवं उत्तर से दक्षिण चौड़ाई 826 किलोमीटर है।
- राज्य का उत्तरतम गांव कौणा (गंगानगर) व दक्षिणतम गाँव बोरकुंड छोटा (बांसवाड़ा) तथा पश्चिमतम गाँव जनमोहन का पूरा सिलावट (धौलपुर) है।
- राजस्थान का विस्तार-
- 23०03’ उत्तरी अक्षांश से 30०12’ उत्तरी अक्षांश तक(7०09’)
- 69०30’ पूर्वी देशांतर से 78०17, पूर्वी देशांतर तक(8०47’)
- कर्क रेखा(23 1/2० उत्तरी अक्षांश) राजस्थान के दो दक्षिणतम जिला बांसवाड़ा (सर्वाधिक) वह डूंगरपुर से होकर गुजरती है, राज्य का गंगानगर जिला कर्क रेखा से अधिकतम दूरी पर होने के कारण इस जिले में सूर्य की किरणे सबसे तिरछी पड़ती है कर्क रेखा के सर्वाधिक निकट होने के कारण बांसवाड़ा जिले में सूर्य की किरणें सीधी पड़ती है।
- राज्य में सबसे पहले सूर्योदय एवं सूर्यास्त धौलपुर जिले में तथा सबसे अंत में सूर्योदय एवं सूर्यास्त से जैसलमेर जिले में होता है।देशांतरीय विस्तार के कारण राज्य के स्थानीय समय में 35 मिनट 8 सेकंड का अधिकतम अंतर होता है।
- राज्य के 25 जिले ऐसे हैं जिन की सीमाएं अंतरराष्ट्रीय व अन्तरराज्यीय सीमा को स्पर्श करती है जबकि 8 जिले ऐसे हैं जिनकी सीमा न तो अंतर्राष्ट्रीय व न अन्तरराज्यीय सीमा को स्पर्श करती है। यहां तांत्रिक जिले हैं पाली, राजसमंद, धौलपुर, नागौर,दौसा, अजमेर, बूँदी, टोंक।
- राज्य में पाली जिले की सीमा सर्वाधिक(आठ) जिलो- जालौर, सिरोही, उदयपुर,राजसमंद, अजमेर, नागौर, जोधपुर एवं बाड़मेर से लगती है।
- राज्य के 23 जिले ऐसे हैं जिनकी सीमाऍ अन्तरराज्यीय सीमा को स्पर्श करती है,इनमें से 2 जिलों की सीमाऍ अंतर्राष्ट्रीय व् अन्तरराज्यीय दोनों सीमा को छूती है। ये जिले हैं गंगानगर (पाकिस्तान में पंजाब) बाड़मेर (पाकिस्तान व् गुजरात)।
- राजस्थान का कुल स्थलीय घेरा 5920 कि. मी है जिसमें से 1070 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा (रेडक्लिफ रेखा) पाकिस्तान के साथ लगती है,जो हिंदुमलकोट (गंगानगर) से प्रारंभ होकर शाहगढ़ (बाड़मेर) तक है।
- भारत व पाकिस्तान के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा को रेडक्लिफ रेखा के नाम से जाना जाता है यह सीमा रेखा भारत के 4 राज्यों को स्पर्श करती है जम्मू कश्मीर (1216 किलोमीटर), राजस्थान (1070 किलोमीटर),पंजाब (514 किलोमीटर), गुजरात (510 किलोमीटर)। इस प्रकार सर्वाधिक सीमा रेखा जम्मू-कश्मीर के साथ तथा न्यूनतम सीमा रेखा गुजरात के साथ हैं।
- पाक सीमा से लगते राज्य के चार जिले जैसलमेर (464 किलोमीटर),बाड़मेर (228 किलोमीटर),गंगानगर (210 किलोमीटर), बीकानेर (168 किलोमीटर) है, वही पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का बहावलपुर जिला एवं सिंध प्रांत के खैरपुर व् मीरपुर खास जिले राज्य की सीमा को छूते हैं। राजस्थान का पाकिस्तान सीमा से सबसे निकट का जिला मुख्यालय गंगानगर एवं सबसे दूर स्थित जिला मुख्यालय बीकानेर है।
- राज्य की सीमा 5 राज्यों पंजाब,हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं गुजरात से लगती है। इनमें से सबसे लंबी सीमा मध्य प्रदेश (1600 किलोमीटर) व सबसे कम लंबी सीमा पंजाब राज्य (89 किलोमीटर) से लगती है।
- सबसे कम लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा बीकानेर जिले की है जो पाकिस्तान से लगती है एवं सबसे कम लम्बी अंतरराज्यीय सीमा बाड़मेर की है जो गुजरात से लगती है।
भारत के मानचित्र मे राजस्थान
- राजस्थान भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित देश का वृहत्तम राज्य है। भारत के कुल क्षेत्रफल थर्टी 32,87,263 वर्ग कि. मी. में से 3,42,239 वर्ग कि. मी. क्षेत्रफल राजस्थान घेरता है। यह देश के कुल क्षेत्रफल का 10.41% भाग है।
- क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान विश्व के अनेक देशों में बड़ा है।यहां तक कि इजराइल से 17गुना,श्रीलंका से 5 गुना, इंग्लैंड से दुगुना, जापान के लगभग बराबर तथा नॉर्वे, पोलैंड, इटली से भी अधिक क्षेत्रीय विस्तार रखता है।
- भारत के मुख्य भू-भाग का अक्षांशीय विस्तार 8०4’ उत्तरी अक्षांश से 37०6’ उत्तरी अक्षांश एवं 68०7’ पूर्वी देशांतर से 97०25’ पूर्वी देशांतर तक है।इसमें राजस्थान 23०03’ उत्तरी अक्षांश से 30०12’ उत्तरी अक्षांश एवं 69०30’ पूर्वी देशांतर से 78०17’ पूर्वी देशांतर तक विस्तृत है।
- कर्क रेखा (23 1/2० उत्तरी अक्षांश), राजस्थान के सुदूर दक्षिणी भाग में बांसवाडा एवं डूंगरपुर जिलो से गुजरती है, अतः राज्य का अधिकांश भाग ‘शीतोष्ण कटिबंध’ के अंतर्गत आता है।
- राजस्थान का संपूर्ण भू-भाग भारत के तीन भौतिक विभागो में सम्मिलित है।राज्य का अधिकांश भू-भाग थार का मरुस्थल नामक भौतिक विभाग के अंतर्गत आता है।इसमें राज्य का उत्तर पश्चिमी भाग सम्मिलित है राज्य का उत्तरी-पूर्वी भाग भारत के उत्तरी मैदान नामक भौतिक विभाग के अंतर्गत एवं अरावली सहित दक्षिणी-पूर्वी भाग भारत के प्रायद्वीपीय पठार नामक भौतिक विभाग के अंतर्गत सम्मिलित है।
- भारत का एकमात्र उष्ण मरुस्थल ‘थार का मरुस्थल’ राजस्थान के उत्तरी एवं पश्चिमी भागों में विस्तृत है। यह मरुस्थल ‘ग्रेट अफ्रीकन पेलियोजाइक मरुस्थल’ का सबसे पूर्वी भाग है।
- अरावली जो विश्व की सबसे प्राचीन वलित पर्वतमाला है,इसका सबसे अधिक विस्तार राजस्थान में मिलता है।
- हिमालय एवं दक्षिण के पठार के मध्य की सर्वोच्च पर्वत चोटी गुरुशिखर(1722मी.) अरावली के आबू पर्वत (सिरोही) पर स्थित है।
- राजस्थान का निकटतम समुद्री भाग कच्छ की खाड़ी (अरब सागर) है, जो राज्य की सीमा से 225 कि. मी. की दूरी पर है।
- राजस्थान का सबसे निकट स्थित बंदरगाह कांडला (गुजरात) है,जो कच्छ की खाडी के उत्तर किनारे अवस्थित है।
- राजस्थान की सीमा भारत के 5 राज्यों पंजाब,हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं गुजरात से लगती है। इन पड़ोसी राज्यों में गुजरात एकमात्र समूह तट वाला राज्य है।
- राजस्थान की 1070 कि.मी. लंबी उत्तर-पश्चिमी सीमा (रेडक्लिफ रेखा) पाकिस्तान के साथ लगती है।
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र(NCR-National Capital Region) मैं राजस्थान के अलवर एवं भरतपुर जिलो को शामिल किया गया है।
- राजस्थान की राजधानी जयपुर, देश का 10वॉ सबसे बड़ा नगर है।(2011 की जनगणना के अनुसार)
- विंध्याचल पर्वतमाला का प्रारंभ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से होता है।यह पर्वतमाला सासाराम (बिहार) तक विस्तृत है।
- क्रिटेशस काल के दौरान हुए ज्वालामुखी लावा प्रवाह से दक्कन के पठार का निर्माण हुआ। इस पठार का उत्तरी भाग राजस्थान के दक्षिणी पूर्वी भाग में हाड़ौती के पठार के रूप में विस्तृत है।
- टेथिस सागर के अवशेष के रूप में पायी जाने वाली झीले (सांभर, डीडवाना, डेगाना, लूणकरणसर, पचपदरा इत्यादि) राजस्थान में स्थित है। इस लवणीय झीलो से नमक का उत्पादन किया जाता है।
- आबू पर्वत (सिरोही) पर कई दुर्लभ औषधीय महत्व के पादप एवं वनस्पति पाई जाती है। ‘ आबूएन्सिस डिकिल्पटेरा’ नामक वनस्पति पूरे भारत में यहीं पर पाई जाती है।
- भरतपुर स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना पक्षी विहार) भारत में साइबेरियन सारस एवं अन्य प्रवासी पक्षियों की एकमात्र विश्व प्रसिद्ध शरणस्थली है।इस क्षेत्र को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित किया गया है।
- राजस्थान के पश्चिमी भाग में स्थित बाड़मेर-सांचोर बेसिन में भारत के एक चौथाई पेट्रोलियम भंडार प्राप्त हुए हैं।
- चंबल नदी राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की 241 किलोमीटर लंबी प्राकृतिक सीमा बनाती है।यह भारत की सबसे लंबी नदी जल सीमा रेखा है।
- भारत में मीठे पानी (स्वच्छ जल)की सबसे बड़ी झील जयसमंद राजस्थान के उदयपुर जिले में अवस्थित है।
- देश की कुल जनसंख्या में राज्य का अंशदान 5.67% है। जनसंख्या की दृष्टि से राज्य का देश में आठवां स्थान है अन्य राज्य क्रमशः उत्तर प्रदेश,बिहार,पश्चिम बंगाल,मध्य प्रदेश,महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु है।
Tuesday, 17 January 2017
Monday, 16 January 2017
Saturday, 7 January 2017
Rajasthan culture
CULTURE OF RAJASTHAN
Rajasthan is culturally rich and has artistic and cultural traditions which reflect the ancient Indian way of life. There is rich and varied folk culture from villages which are often depicted and is symbolic of the state. Highly cultivated classical music and dance with its own distinct style is part of the cultural tradition of Rajasthan. The music has songs that depict day-to-day relationships and chores, often focused around fetching water from wells or ponds.
Rajasthan is culturally rich and has artistic and cultural traditions which reflect the ancient Indian way of life. There is rich and varied folk culture from villages which are often depicted and is symbolic of the state. Highly cultivated classical music and dance with its own distinct style is part of the cultural tradition of Rajasthan. The music has songs that depict day-to-day relationships and chores, often focused around fetching water from wells or ponds.
Rajasthani cooking was influenced by both the war-like lifestyles of its inhabitants and the availability of ingredients in this arid region. Food that could last for several days and could be eaten without heating was preferred. The scarcity of water and fresh green vegetables have all had their effect on the cooking. It is known for its snacks like Bikaneri Bhujia. Other famous dishes include bajre ki roti (millet bread) and lashun ki chutney (hot garlic paste), mawa kachori Mirchi Bada, Pyaaj Kachori and ghevar from Jodhpur, Alwar ka Mawa(Milk Cake), malpauas from Pushkar and rassgollas from Bikaner. Originating from the Marwar region of the state is the concept Marwari Bhojnalaya, or vegetarian restaurants, today found in many parts of India, which offer vegetarian food of the Marwari people.
Dal-Bati-Churma is very popular in Rajasthan. The traditional way to serve it is to first coarsely mash the Baati then pour pure Ghee on top of it. It is served with the daal (lentils) and spicy garlic chutney. Also served with Besan (gram flour) ki kadi. It is commonly served at all festivities, including religious occasions, wedding ceremonies, and birthday parties in Rajasthan. "Dal-Baati-Churma", is a combination of three different food items — Daal (lentils), Baati and Churma (Sweet). It is a typical Rajasthani dish.
The Ghoomar dance from Jodhpur Marwar and Kalbeliya dance of Jaisalmer have gained international recognition. Folk music is a large part of Rajasthani culture. Kathputli, Bhopa, Chang, Teratali, Ghindr, Kachchhighori, and Tejaji are examples of traditional Rajasthani culture. Folk songs are commonly ballads which relate heroic deeds and love stories; and religious or devotional songs known as bhajans and banis which are often accompanied by musical instruments like dholak, sitar, and sarangi are also sung.

Traditional musical instruments of Rajasthan
Rajasthan is known for its traditional, colourful art. The block prints, tie and dye prints, Bagaru prints, Sanganer prints, and Zari embroidery are major export products from Rajasthan. Handicraft items like wooden furniture and crafts, carpets, and blue pottery are commonly found here. Shopping reflects the colourful culture, Rajasthani clothes have a lot of mirror work and embroidery. A Rajasthani traditional dress for females comprises an ankle-length skirt and a short top, also known as a lehenga or a chaniya choli. A piece of cloth is used to cover the head, both for protection from heat and maintenance of modesty. Rajasthani dresses are usually designed in bright colours like blue, yellow and orange.
The main religious festivals are Deepawali, Holi, Gangaur, Teej, Gogaji, Shri Devnarayan Jayanti, Makar Sankranti and Janmashtami, as the main religion is Hinduism. Rajasthan's desert festival is held once a year during winter. Dressed in costumes, the people of the desert dance and sing ballads. There are fairs with snake charmers, puppeteers, acrobats and folk performers. Camels play a role in this festival.
Spirit possession has been documented in modern Rajasthan. Some of the spirits possessing Rajasthanis are seen as good and beneficial while others are seen as malevolent. The good spirits include murdered royalty, the underworld god Bhaironji, and Muslim saints. Bad spirits include perpetual debtors who die in debt, stillborn infants, deceased widows, and foreign tourists. The possessed individual is referred to as a ghorala ("mount"). Possession, even if it is by a benign spirit, is regarded as undesirable, as it entails loss of self-control and violent emotional outbursts.
Rajasthan has artistic and cultural traditions which reflect the ancient Indian way of life. There is a rich and varied folk culture from villages which is often depicted symbolic of the state.
Rajasthan had a glorious history. It is known for many brave kings, their deeds; and their interest in art and architecture. Its name means “the land of the rajas”. It was also called Rajputana (the country of the Rajputs); whose codes of chivalry shaped social mores just as their often bitter and protected feuding dominated their politics.
Rajasthan, the land of Kings. Drenched into royal grandeur and soaked into glorious history, Rajasthan is one of the most charming and captivating states of India. It has been globally famous tourism destination with lots of tourist attractions and fabulous tourist facilities. This historical state of India attracts tourists and vacationers with its rich culture, tradition, heritage, and monuments. It is also rich in its flora and fauna with some of popular wildlife sanctuaries & national parks.
Music and Dance

A Rajasthani folk dance, Kalbeliya.
Highly cultivated classical music and dance with its own distinct style is part of the cultural tradition of Rajasthan. The music is uncomplicated and songs depict day-to-day relationships and chores, more often focused around fetching water from wells or ponds.
The Ghoomar dance from Udaipur and Kalbeliya dance of Jaisalmer have gained international recognition. Folk music is a vital part of Rajasthani culture. Kathputali, Bhopa, Chang, Teratali, Ghindar, Kachchhighori, Tejaji,parth dance etc. are the examples of the traditional Rajasthani culture. Folk songs are commonly ballads which relate heroic deeds and love stories; and religious or devotional songs known as bhajans and banis (often accompanied by musical instruments like dholak, sitar, sarangi etc.) are also sung.
Kanhaiya Geet also sung in major areas of east rajasthani belt in the collectiong manner as a best source of entertainment in the rural areas.
Arts and Crafts
Rajasthan is famous for textiles, semi-precious stones and handicrafts, and for its traditional and colorful art. Rajasthani furniture has intricate carvings and bright colours. Block prints, tie and dye prints, Bagaru prints, Sanganer prints and Zari embroidery are major export products from Rajasthan. The blue pottery of Jaipur is particularly noted.
Architecture
Rajasthan is famous for the majestic forts, intricately carved temples and decorated havelis, which were built by kings in previous ages. Jantar Mantar, Dilwara Temples, Mirpur Jain Temple, Chittorgarh Fort, Lake Palace Hotel, City Palaces, Jaisalmer Havelis are part of the architectural heritage of India. Jaipur, the Pink City, is noted for the ancient houses made of a type of sand stone dominated by a pink hue. At Ajmer, the white marble Bara-dari on the Anasagar lake is exquisite. Jain temples dot Rajasthan from north to south and east to west. Dilwara temples of Mount Abu, Mirpur Jain Temple of Mirpur, Ranakpur Temple dedicated to Lord Adinath near Udaipur, Jain temples in the fort complexes of Chittor, Jaisalmer and Kumbhalgarh, Lodarva (Lodhruva) Jain temples and Bhandasar Temple of Bikaner are some of the best examples.
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