Friday, 3 February 2017
Thursday, 2 February 2017
राजस्थान भूगर्भिक शैल संरचना
- राजस्थान में आर्यन महाकल्प से लेकर अभिनूतन युग तक की भूगर्भीय शैली संरचनाएं पाई जाती हैं।
- राजस्थान की भू-गर्भिक संरचना भारत के अन्य राज्यों की तुलना में विशिष्ट है क्योंकि जहां एक ओर प्राचीनतम प्री -कैंब्रियन युग की शैलों से युक्त अरावली पर्वतमाला है तो दूसरी ओर वायु द्वारा जमा की गई अत्याधुनिक मृदा।
- अरावली पर्वतमाला में एक और जहां प्राचीन ग्रेनाइट एवं नीस के शैल है वही उसी के साथ साथ देहली एवं विंध्य समूह के शैल भी मौजूद हैं।
- हाड़ोती का पठार,मालवा के पठार का ही एक भाग है।
- आर्यन तथा प्री कैंब्रियन योग्य संरचनाओं का हादसा दृष्टिगोचर होना राज्य के महत्वपूर्ण भूगर्भीय की विशेषता है।
- राजस्थान की भूगर्भीय संरचना में भौमकीय कालानुक्रम में परिवर्तन आए हैं, जो यहां की शैल संरचना में स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं राजस्थान की भूगर्भिक संरचना का वर्णन क्रमशः आद्य महाकल्प,पुरजीवी महाकल्प, प्राद्यजीवी महाकल्प के रुप में किया जाता है।
- आद्य महाकल्प जो 42,500 से 4,5000 लाख वर्ष प्राचीन है,इसके संदर्भ में अरावली पूर्व एवं कैंब्रियन पूर्व को वर्णित किया जाता है। कैंब्रियन पूर्व के अंतर्गत रावली महासंघ एवं देहली महासंघ आते हैं।
- पूरा जीवी महाकल्प के संदर्भ में विंध्य महासंघ एवं परमियान कार्बोनिफेरस( बाप बोल्डर बैड व् भादुरा कालूकाश्म) को वर्णित किया जाता है।
- प्राद्यजीवी(नवजीवी) महाकल्प को जीवाश्म, अश्वंवैन्यासिक एवं हिमनदन की घटनाओं के आधार पर तृतीयक कल्प व क्वार्टरनरी(चतुर्थक) कल्प में विभक्त किया गया है।
- तृतीयक (टर्शियरी) कल्प के शैल समूह मुख्यतः नागौर, बीकानेर ,जैसलमेर एवं बाड़मेर जिले में बालुकाश्म,जीवाश्म युक्त चूने का पत्थर, बेंटोनिटिक मृदिकाए, मुल्तानी मिट्टी एवं लिग्नाइट आदि रूप में विद्यमान है।
- राजस्थान की प्राचीनतम चट्टाने ‘बैंडेड- नाइसिक- कॉन्पलेक्स’है जो आर्कियन युग के जालोढ निक्षेप एवं बालूका स्तरिकी के रूप में है। यह चट्टाने भीलवाड़ा, चित्तोड़गढ़, राजसमंद एवं उदयपुर जिले में पाई जाती है।
- अरावली पर्वत श्रंखला कैंब्रियन पूर्व युग की अरावली एवं दिल्ली महासंघ के कायांतरिक चट्टानों प्रमुखत: नाइस, शिस्ट, क्वार्टजाइट,संगमरमर इत्यादि से बनी हुई है।
- जोधपुर एवं नागौर जिले में स्थित मारवाड़ महासंघ के बालूका पत्थर एवं चूना पत्थर के निक्षेप प्रोटोरोजाइक काल के है।
- राज्य के दक्षिणी-पश्चिमी भाग में विस्तृत मालाणी आग्नेय श्रंखला के तहत रायोलाइट एवं जालौर- सिवाना ग्रेनाइट के जमाव मिलते हैं।
- जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलों में पीले पत्थर का जमाव मिलते है।
- आर्कियन जलोढ़ चट्टानों की सबसे विस्तृत पेटी आमेट (राजसमंद) से खेतड़ी (झुंझुनू) तक के 300 कि. मी. की लंबाई में पाई है, जो ‘सांडमाता कॉन्पलेक्स’ कहलाता है।
- अरावली महासंघ की चट्टानें जोकि 20 से 25 हजार लाख वर्ष पुरानी है कांकरोली (राजसमंद) से बांसवाड़ा तक पायी जाती है। अरावली महासंग से सबसे पुरानी चट्टाने देबारी संघ की है। अरावली महासंघ के सबसे नवीन जमाव लूनावाड़ संघ के रुप में पाई जाती है।
- रायलो संघ की चट्टाने जयपुर एवं अलवर जिलो में पाई जाती है इनके सबसे अच्छे जमाव टहला एवं बलदेवगढ़ के आस-पास मिलते हैं।
- विंध्यन महासंघ की चट्टाने राजस्थान में निम्बाहेड़ा (चित्तौड़गढ़) से धोलपुर तक विस्तृत है इसमें चूना पत्थर,बलुआ पत्थर, शैल एवं शिस्ट के महत्वपूर्ण जमाव हैं।
- राजस्थान में डेकन ट्रेप (क्रिटेशस लावा प्रवाह) के महत्वपूर्ण जमाव हाड़ौती क्षेत्र एवं मेवाड़ के दक्षिण- पूर्वी क्षेत्र मिलते हैं।
- टर्शियरी (तृतीयक) महाकल्प के महत्पूर्ण जमाव जीवाश्म मय बालूका पत्थर, मृतिका एवं लिग्नाइट के रूप में जैसलमेर, बाड़मेर ,नागौर एवं बीकानेर जिलों में मिलते हैं।
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